मेरी अभिला़षा है – पाठ 10
द्वारिकाप्रसाद माहेश्व्री
इस कविता में सेवा, त्याग, सहनशीलता, दृढता आदी जीवन-मूल्यों को अपनाने का संदेश है।
सूरज-सा दमकूँ मैं
चंदा-सा चमकूँ मैं
झलमल-झलमल उज्ज्वल
तारों-सा दमकूँ
मेरी अभिला़षा है ।
फूलों-सा महकूँ मैं
विहगों-सा चहकूँ मैं
गुंजित कर वन-उपवन
कोयल-सा कुहकूँ मैं
मेरी अभीलाषा है ।
नभ से निर्मलता लूँ
शशि से शीतलता लूँ
धरती से सहिष्णुता
पर्वत से दृढता लूँ
मेरी अभीलाषा है ।
ಪದ್ಯದ ಮಾದರಿ ಗಾಯನ
My wish – मेरी अभिलाषा
7th std | new syllabus 2017 | 3rd language | Hindi | 4th poem | lyrical video | meri abhilaasha hai
कवि परिचय
ग्राम रोहित, आगरा, उत्तर प्रदेश में जमें द्वारिकाप्रसाद महेश्वरी जी (1916-1998) अपने जीवन काल में उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान द्वारा ‘बाल साहित्य पुरस्कार’ और उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा ‘सरस्वती साधना सम्मान’ से पुरस्कृत हुए।
इनके प्रमुख रचनाएँ हैं – 1) कविता संग्रह – फूल और फूल 2) खंडकाव्य – क्रौंचवध, सत्य की जीत 3) बाल काव्य कृतियां – वीर तुम बढ़े चलो, हम सब सुमन एक उपवन के, सोने की कुल्हाड़ी, कातो और गाओ, सूरज सा चमकू मैं, बालगीतायन।
शब्दार्थ
अभिलाषा – इच्छा, ಇಚ್ಛೆ
चंदा – चंद्रमा, ಚಂದ್ರ
चमकना – प्रकाशित होना, ಪ್ರಕಾಶಿಸುವುದು
झलमल – चमक-दमक, ಹೊಳೆಯುವುದು
उज्जवल – प्रकाशमान, ಪ್ರಕಾಶಮಾನವಾದ
दमकना – चमकना, ಬೆಳಗುವುದು
महकना – खूबसूरत होना, ಸುಂದರವಾದ
विहग – पक्षी, ಪಕ್ಷಿ
चहक – कलरव, ಕಲರವ
नाभ – आकाश, ಆಕಾಶ
कुहकना– पक्षी का बोलना, ಪಕ್ಷಿಗಳ ಕೂಗುವಿಕೆ
दृढ– मजबूत, ದೃಢತೆ
ಸಂವೇದ ವಿಡಿಯೋ ಪಾಠಗಳು
Samveda – 7th – Hindi – Meri Abhilasha
ಪೂರಕ ವಿಡಿಯೋಗಳು
मेरि अभिलाषा है। meri abhilaha hai | 7th standard hindi lesson 10
ಪ್ರಶ್ನೋತ್ತರಗಳು
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