बोल उठी बिटिया – पाठ-13

मैं बचपन को बुला रही थी,
बोल उठी बिटिया मेरी ;
नंदनवन-सी फूल उठी,
यह छोटी-सी कुटिया मेरी ।

’माँ ओ’ कहकर बुला रही थी,
मिट्टी खाकर आयी थी ;
कुछ मुँह में, कुछ लिये हाथ में,
मुझे दिखाने लाई थी ।

पुलक रहे थे अंग र्दगों में,
कौतूहल था छलक रहा ;
मुँ पर भी आहलाद लालीमा,
विजय गर्व था झलक रहा ।

ಪದ್ಯದ ಮಾದರಿ ಗಾಯನ

https://youtu.be/fp1L87KrBck

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कवि परिचय

सुभद्रा कुमारी चौहान हिन्दी की प्रसिद्ध कवयित्री हैं। अपका जन्म 1904 में हुआ और मृत्यु 1948 को एक कार दुर्धटना में हुई | आपकी काव्य पंक्तियां ‘खुब लेडी मर्दानी वह झँसीवाली रानी थी’ प्रसिद्ध हैं | ‘मुकुल’ आपका कविता संग्रह है । इसक अलावा आपका कहानी संकलन और शिशु आहित्य भी प्रकाशित है।

शब्दार्थ

कुटिया – कुटीर
माँ ओ‘ – माँ ओ माँ
कौतुहल – आश्चर्य, प्रबल इच्छा
छलकना – उमड़ना
आहलाद – आनंद, हर्ष
लालिमा – प्रसन्नता, लाल रंग
झलकना – प्रकट हाना

ಸಂವೇದ ವಿಡಿಯೋ ಪಾಠಗಳು

Samveda – 7th – Hindi – Bol Uti Bitiya

ಅಭ್ಯಾಸಗಳು

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